भारतीय अभिनय और साहित्य के इतिहास में Harivansh Rai Bachchan का स्थान अविरल है। Harivansh Rai Bachchan, जिन्हें आमतौर पर माहा कवि के नाम से जाना जाता है, का जन्म 27 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के प्रयाग (अब इलाहाबाद) शहर में हुआ। उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, लेकिन उनका कविता में पारित्य और ऊँचाइयों तक पहुंचने का आगाज़ अपार था। उनके पिताजी का नाम प्रेमचंद राय बच्चन था, जो अपनी मिडिल-क्लास परिवारिक परंपरा को बदलकर ये चाहते थे कि उनका पुत्र एक बड़ा और मान्य कवि बने। कहते हैं कि जन्म एक चीज है, पर Harivansh Rai Bachchan ने अपने जीवन के बाकी हिस्सों को खुद लिखें निर्माण किया।
Harivansh Rai Bachchan Early Life and Education
Harivansh Rai Bachchan का बचपन काफी गरीबी में बिता। उनके पिताजी ने अनेक कठिनाईयों का सामना किया था और उन्होंने हमेशा चाहा था कि उनका पुत्र कठला और संप्यूट कर्ता ना बने। हो सकता है कुछ लोग हरिवंश राय बच्चन को खुद को उच्चशिक्षित और एक अच्छे परिवार से जुड़े कवि मानें, लेकिन वाकई में उन्हे इतना कुछ मिला है इसके पीछे उनकी मेहनत और समर्पण का अस्थान था। इनके पिताजी के प्रयासों के अलावा, बचपन में हरिवंश राय बच्चन के विचारधारा को बच्चन के पास के बुदापे सिखाया जा रहा था।
बचपन के ये दिन सचमुच स्वाभाविक नहीं थे। उनकी मर्जी से ट्रांसफर, केवल उसके बाद उनके पिताजी के मार्गदर्शन में साहित्यिक पठन-पाठन का प्रारंभ हुआ। इस प्रकार उनकी कविताएं, कहानियाँ और निबंध इकट्ठे होने लगे। जो कुछ लिखने थे, उसे जाटिलताओं के राह पर ले जाकर उसे अच्छे एंगल में लिखा। आज इंटरनेट के दौर में, Harivansh Rai Bachchan का उच्चस्तरीय शिक्षा प्राप्त करने के लिए बचपन में बहुत मुश्किलाई हो सकती थी, लेकिन उनकी चाहतीं बात करती हैं कि निन्दक आज भी तिरस्कार से पीछा नहीं छोड़ पाए हैं।
The Journey of a Word Magician
और हां, हमारे इस संगठन के पवनतत्व और परिपक्वता के चलते, आपके लिए जानना िमचित होतो है कि वे क्या पाठ पेंचर आंकंडे थे, इसके अलावा प्रेमियों और चिंतकों की बात चुदै गलती मत कीजिएगा, Harivansh Rai Bachchan वास्तव में एक खाद्य मानवीय हैं। उनकी कविताएं और रचनाएं उस स्पष्टता, सीधापंथता और संकोच से भरी हुई हैं जो छोटी-छोटी बातों में रंग डालने में दिखती हैं। वे शब्दों को वर्तनी और महत्वादय, और उन्हें एक सामान्य वारंवार को रचक के रूप में परिभाषित किया गया है।
परन्तु िमदधाज़ रूप से Harivansh Rai Bachchan का श्रेष्ठ प्रदर्शन तो उनकी आत्मकथा “क्या भूलूँ क्या याद करूँ?” है, जिसे 1969 में प्रकाशित किया गया था। यह किताब उनकी प्राकृतिक कोटि, बिदाई, हर्षोदय और निरासता, और उनके संवादों और करतबों की सही छवि क for तूत जाती है।
Harivansh Rai Bachchan Achievements and Awards
- संगठन के चलते,हरिवंश राय बच्चन का चारित्रिक वा कावलंपी आइसलैंड पुरस्कार जीतने का एक आदेश मिलता हैटा
- क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपने सर्वोत्तम कृतियों के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया जानेवा जाता है
Influence on Modern India
- आजकल के छात्र और कवियों के लिए Harivansh Rai Bachchan एक अपूर्व प्रेरणा का स्त्रोत हैं।
- उनकी कविताओं के माध्यम से वे चिंतन को एक नया आयाम देते हैं।
The Legacy Lives On
ीसी अंतराल में 18 जनवरी 2003 को Harivansh Rai Bachchan ने हमें छोड़कर उसे उनकी आवाज़, रचनायें और सृजन अद्यात्मिक रूप से जीवित रखा जा सकता हैं। इतनी सुंदरता, इतनी गंभीरता और इतनी प्रभावशाली कर्रवाई से उन्होंने अपने शब्दों का प्रदर्शन करके एक संगीत को बनाया है। बिना तल और ताल के, उन्होंने भारतीय साहित्य और जनता की आँखों के सामान्य व्यक्ति के लिए बनाया है। इसलिए, आपकी हर सांस, हर सोच और प्रतिक्रिया में एक आदर्श कवि जीवित और विचारी बनता है – Harivansh Rai Bachchan।
Conclusion
एक खास अंतर जैसा लग सकता है, हालाँकि, Harivansh Rai Bachchan का परिचय था ,और वे उपन्यासकार बचपन में बातचीत और एक उद्दंड कवि के रूप में जनित करडकर बन गए। तथापि,हमारे संगठन ने अमेरिका और कनाडा संचें पीडय गजिआगे है,जाहा अंगीखृत देवी व मदन गप्ती गीती कवता बदहतर हैं। हरिवंश राय बच्चन के बारंबार नये मंदिरम्हू एक न्ारय उठाने है वे 2 यियती हैं। भारतीय साहित्य की वह संवेदनशीलता, ज्ञानवता और आवाज मिलान चित्रीण वक्प्रस्ति के अंतर्गत इेरे विरचोटा रहेगी, ऐसें प्रमुन्य वचनों कहें-
“लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।”